sidh kunjika Fundamentals Explained
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
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मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
The most important Kunjika Strotam gain and wonder is the fact it's got the opportunity to clear away all problems from one particular’s daily life.
कुंजिका पाठ मात्रेण, दुर्गा पाठ फलं website लभेत्।